प्रदीप चौधरी की कविता दिसम्बर २००५ मैं लिखी हुई !
आई टी के सभी विद्यार्थियों को समर्पित !!!
मुझे विश्वास है आप सभी को मेरी यह कृति स्मृत होगी ॥ नही तो कोई गल नही .... अभी तो रहेगी ही ...!!
अभिषेक करो अभिनव नितिन इस काल खंड का !!
प्रतीक्षा है प्रवीन वर्ष की
पल पल प्रदीप रहे यह प्रेम विश्वास !
नेहा की ऋतुओं मैं रचनाओं की विविधा हो !!
आईटी के आकाश मैं हम , परीक्षित हों , अजय हों , विजय हों ,
परिणाम अमित हों !!!!
प्रवीन वर्ष के वातावरण में , विनोद हों !
रुचिका सुकर्म हो , अपनी भाग्य अंकिता हो !
प्रज्यलित श्वेता खुशबु हो !!!
हे जगदीश ! आना गोपाल बनकर , पुनः इस भारती पर !!
ॐ रूपी प्रकाश में प्रति वर्ष की भांति हे अनुज !!
हमारे गौरव , विवेक में कभी न क्षय हो !
प्रति क्षण प्रत्येक परिवार में नव वर्ष मंगलमय हो !!!
प्रदीप चौधरी
This poem is very near to my heart,, because once i read this ,,i remember my colege life..
My Sincere Sorry for all those whose name was not included in the poem,,,
But i know even their name are not included , they have been included in my heart...
This poem was not admired by some of the classmates intially but when they come to know about the conntent and meaning of the poem..they realized importance of this poem...
At last i would say ,, this is for all of us to remeber what we were at college life...
आई टी के सभी विद्यार्थियों को समर्पित !!!
मुझे विश्वास है आप सभी को मेरी यह कृति स्मृत होगी ॥ नही तो कोई गल नही .... अभी तो रहेगी ही ...!!
अभिषेक करो अभिनव नितिन इस काल खंड का !!
प्रतीक्षा है प्रवीन वर्ष की
पल पल प्रदीप रहे यह प्रेम विश्वास !
नेहा की ऋतुओं मैं रचनाओं की विविधा हो !!
आईटी के आकाश मैं हम , परीक्षित हों , अजय हों , विजय हों ,
परिणाम अमित हों !!!!
प्रवीन वर्ष के वातावरण में , विनोद हों !
रुचिका सुकर्म हो , अपनी भाग्य अंकिता हो !
प्रज्यलित श्वेता खुशबु हो !!!
हे जगदीश ! आना गोपाल बनकर , पुनः इस भारती पर !!
ॐ रूपी प्रकाश में प्रति वर्ष की भांति हे अनुज !!
हमारे गौरव , विवेक में कभी न क्षय हो !
प्रति क्षण प्रत्येक परिवार में नव वर्ष मंगलमय हो !!!
प्रदीप चौधरी
This poem is very near to my heart,, because once i read this ,,i remember my colege life..
My Sincere Sorry for all those whose name was not included in the poem,,,
But i know even their name are not included , they have been included in my heart...
This poem was not admired by some of the classmates intially but when they come to know about the conntent and meaning of the poem..they realized importance of this poem...
At last i would say ,, this is for all of us to remeber what we were at college life...
5 comments:
Jattu Bhaiya...nice to read again this old and lovely poem.Paste ur other poems and shayaris also specially first year poem which was ur Kalpana and later changed to ... :)
Swagat blog parivar mein.
thanks for your valuable comments.. ;)
thanks a lot for all your appreciation ,,, Any ways i m not a poet ,, i write very occasionally...
in my entire life i wrote very few poems and gazals etc...
Because i feel writting is a good way to convey your message to mass and it please our self also .....
launde tune phoda hia .. teri is kriti se main khush hun... :)
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