Friday 28 January, 2011

नमस्कार मित्रो,

बहुत दिनों पश्चात् ब्लॉग लिख रहा हूँ ! इस दौरान काफी व्यस्त रहा । जीवन में बहुत परिवर्तन आ चुके हैं ।
टी सी एस ज्वाइन करने के बाद , १९ जून २०१० को कल्पना जाटव से शादी की । तत्पश्चात मेरा सिडनी ऑस्ट्रेलिया का काम मिला। २७ अगस्त को सिडनी के लिए रावाना हुआ। अभी सिडनी में ही हूँ।

यह सब दरकिनार करते हुए में पॉइंट पर आता हूँ । मैंने एक कविता लिखी है॥ जो में अपनी पत्नी को समर्पित करना चाहता हूँ ।

उम्मीद करता हूँ आपको भी पसंद आएगी ।


जब हुए तुम द्रष्टिगोचर सर्वप्रथम , क्षण उस हुआ जो आभाष ।
ह्रदय स्पंदन तीव्र, मस्तिष्क विराम भी हो जाता है आज !!
क्षण जब हुए परस्पर समांतर ह्रदय मस्तिष्क के तार ।
एक हुए थे हम तभी, विवाह हुआ है बाद । ।
अब जब हम संपूर्ण हैं, जग हुआ अज्ञात ।
आनंदित प्रफुल्लित चित्त धरा पर , कभी हुआ ना पूर्व आभाष ।
जब हुए तुम द्रष्टिगोचर , क्षण हुआ जो आभाष !!!!

प्रदीप चौधरी